अलर्ट: दोगली विचारधारा वाले ना पढ़ें, गलत जगह पर दर्द हो सकता है आपको।
हैदराबाद में एक यूनिवर्सिटी है, एक यूनिवर्सिटी जाधवपुर में है, एक यूनिवर्सिटी जवाहरलाल वाली है। इन तीनों में एक समानता है कि यहाँ विद्यार्थी होते हैं, दूसरी समानता ये है कि यहाँ पर पिछले कुछ दिनों में विद्यार्थियों के फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के नाम पर बवाल हुआ था।
बवाल के चक्कर में कुछ लोग रातों रात नेता बन गए। आजकल कहाँ हैं पता नहीं।
एक और जगह है जहाँ विद्यार्थी रहते हैं। नाम है NIT श्रीनगर। वहाँ भी उन्होंने फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन का सहारा लिया। वहाँ भी बवाल हो गया है। वहाँ लड़के खदेड़े जा रहे हैं और पुलिस द्वारा पीटे जा रहे हैं। इस पर कोई मीडिया कुछ नहीं दिखा रहा। कोई बुद्धिजीवी वर्ग इस पर कुछ नहीं बोल रहा।
यहाँ पर विद्यार्थियों के हितों पर हमला नहीं हो रहा, ना ही केजरीवाल का ट्वीट है, ना ही राहुल गाँधी मिलने गए हैं, ना ही बरखा दत्त इंटरव्यू ले रही हैं।
कारण: जेएनयू में ‘भारत की बर्बादी’ फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन थी, यहाँ पर तिरंगा लहराकर फेरा लगाया गया। वहाँ ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाअल्लाह-इंशाअल्लाह’ बोलने की वकालत फ्रीडम के नाम पर थी, यहाँ ‘भारत माता की जय’ बोलने पर विद्यार्थी पीटे जा रहे हैं।
अगर ‘नेशनलिज्म’ ना दिखाना आपका विशेषाधिकार और निजी निर्णय है तो किसी के तिरंगा लहराने पर उसे कैंपस में खदेड़ना या उस पर चुप्पी साध लेना आपका वैचारिक दोगलापन ही दिखाता है।
मुबारक हो!