विश्व पुस्तक दिवस है आज। हम आमतौर पर लिखने वाले हैं, पढ़ते बहुत कम हैं। उसमें भी वो किताबें बिलकुल नहीं जिनकी फ़ोटो टाइपराइटर फोंट में फ़ेसबुक पर ज्ञान बाँटते मिलती है।
सेल्फ़-हेल्प और मोटिवेशन वाली किताबें मुझे पसंद नहीं। मुझे पसंद नहीं तो ये मतलब नहीं कि बुरी हैं। मुझे इसीलिए पसंद नहीं क्योंकि ये आपको डराती हैं, ये एक ‘फ़ीयर साइकोसिस’ को भँजाने की तरह होता है। आपको अपने बारे में पता होना चाहिए। अगर आप द अल्केमिस्ट पढ़कर अपना जीवन जीते हैं तो आपको गंभीर समस्या है। आप इलाज कराइए और ऐसे रेंगते हुए जीना बंद कीजिए।
किताबों का काम सैर कराना है और गाइड बनकर एक समय का इतिहास, उसमें रहने वाले लोग, उनके बारे में बताना है। मैं यहाँ साहित्यिक और ‘फ़िक्शन’ की बात कर रहा हूँ। उनसे आप सीखते हैं, उनको जानते हैं और फिर वो आपमें अलग अलग तरह के लोगों को समझने का ज्ञान देती हैं।
किताब आपको आपके बारे में नहीं बता सकती। आपको आपके बारे में जानना है तो लिखिए। अपने बारे में, ख़ुद को अलग अलग जगह रखकर लिखिए। फिर उसको पढ़िए। आपके बारे में बहुत कुछ पता चलेगा। डिप्रेशन में हैं तो लोगों से मिलिए। ख़ालीपन और ज्ञान की किताबें आपको डराकर आपका जीना हराम कर देंगी।
किताबें, संगीत, प्रेम आदि आपको बेहतर बनाती हैं। हमारी पसंद के लोग, गीत के बोल, संगीत की धुन या किताब के शब्द सब हमें शांत करते हैं। शांत करने से आशय आपमें एक ठहराव लाने से है। से आपको रोके रखती हैं, ये आपको सोचने को मजबूर करती हैं।
मेरी पसंदीदा किताबों में प्रेमचंद की मानसरोवर है, गोदाम है, ग़बन है। कई कहानियाँ हैं उनकी। मंटो मेरे पसंदीदा कहानीकार हैं। टिटवाल का कुत्ता, टोबा टेक सिंह, खोल दो, ठंढा गोश्त और स्याह हाशिए आदि झकझोड़ती हैं आपको। मुक्तिबोध की कविताएँ समय मिलने पर पढ़िए। ओथेलो, मैक्बेथ, हैमलेट, एंटनी एण्ड क्लियोपेट्रा के साथ-साथ शेक्सपीयर के ही सोनेट्स पढ़िए, अच्छे हैं।
गैब्रियल गगार्सिया मार्क्येज़ की हंड्रेड ईयर्स ऑफ़ सॉलिट्यूड पढ़िए। चिनुआ अचेबे की ओकोंन्क्वो वाली ट्रिलॉजी से थिंग्स फ़ॉल अपार्ट पढ़िए और जानिए कि कैसे अफ़्रीकन समाज और भारतीय गाँवों में समानता है, कैसे उस जगह को जोसफ़ कॉनराड हार्ट ऑफ़ डार्कनेस में देखता है और कैसे एक अफ़्रीकन मूलनिवासी देखता है।
सेंट पीटर्सबर्ग में घूमते रास्कलनिकोव से साक्षात्कार कीजिए दोस्तोवेस्की के क्राइम एण्ड पनिशमेंट में। उसमें स्वीड्रीगेलोव की चाल समझिए। घासीराम कोतवाल में व्हाइट साहिब का आना क्या बताता है, वो जानिए। फादर्स एण्ड सन्स से निहिलिज़्म को समझिए। राग दरबारी ज़रूर पढिए, और साथ ही हरिशंकर परसाई के निबंध और व्यंग्य भी पढिए।
दारियो फ़ो की एक्सिडेंटल डेथ ऑफ़ एन अनार्किस्ट पढिए और समझिए स्टेट और अनार्किस्ट को। मदाम बोवरी पढ़िए गुस्ताव फ्लॉबेयर की। ओनरो डी बालजाक़ की द ह्यूमन कॉमेडी पढ़िए। वर्ड्सवर्थ आदि तो बचपन से ‘नेचर पोएट्री’ के नाम पर पढ़ रहे होंगे तो उनको वैसे पढ़िए कि वो नेचर को एक व्यक्ति मानकर लिखते थे। कॉलरिज की कविताओं में सर्वश्रेष्ठ कुबला खान पढ़िए जो उन्होंने गाँजा पीकर, अपने हैलुसिनेशन में लिखा था। हालाँकि वो कविता आधी ही है।
कविताओं में कीट्स की कविताएँ मुझे बहुत पसंद हैं। ला बेले डैम सान्स मर्सी अच्छी है। एलियट भी बेहतरीन कवियों में से एक हैं। द लव सोन्ग ऑफ़ जे अल्फ्रेड प्रूफ्रॉक पढिए तो मज़ा आ जाएगा, एयर समझ आए तो। नेरूदा की कविताएँ प्रेम के ऊपर लिखे किसी महाकाव्य की पंक्तियाँ लगती हैं।
जब लगे आपको बहुत कुछ आता है तो वेटिंग फ़ॉर गोडो पढिए और एक बार में समझकर बताइए। अल्बेयर कमू की कालिगुला, मिथ ऑफ़ सिसिफस, द स्ट्रेंजर पढिए। फिर सार्त्र को भी पढिए। चार्वाक दर्शन भी पढिए और नागार्जुना को भी पढ़िए।
नीत्शे की दस स्पेक जरथुस्ट्रा से आदमी के जानवर और सुपरमैन (ऊबरमैन्च) के बीच की सीढ़ी होने की फिलॉसफी समझिए। और जब लगे कि आप ज्ञानी हैं तो महाभारत उठाइए, संक्षिप्त वाला भी चलेगा और देखिए कि हो क्या रहा है, और कहा क्या जा रहा है। दलित चिंतन, नारी विमर्श के गूढ़ विषय को परे रखकर राम चरित मानस भी पढ़िए और समझिए कि क्या कवि थे तुलसीदास जिन्होंने जीवन को हर विषय के ऊपर कुछ ना कुछ दोहों में लिख दिया है।
हाथ आ जाए तो तिरूवल्लुवर को भी पढ़िएगा। टैगोर की गोरा, घरे-बाहिरे भी पढ़ लीजिए। दुनिया की एब्सर्डिटी पर पढ़ना है तो फिर यूजीन आयनेस्को की द राइनोसेरस पढिए। मानवीय एलियनेशन पर पढ़ना हो तो बर्टोल्ट ब्रेख़्त बेहतरीन लिखते हैं, उनका द गुड पर्सन ऑफ़ सेजुवाँ अच्छी है।
प्रेम में रूचि है तो गुनाहों का देवता पढ़िए, वो प्रेमियों का धर्मग्रंथ है। अच्छी तो ऑस्टिन की प्राइड एण्ड प्रेज्यूडिस भी है।
ये सब मन को ना भाता हो और बकवास पढ़ने में रूचि हो तो बकर पुराण पढ़िए। युवाओं पर गूढ़ चिंतन पढ़ना हो तो बकर पुराण के साथ साथ हमें फ़ेसबुक पर पढ़ते रहिए।
हम आजकल अगली किताब की प्लानिंग कर रहे हैं, जो बकर पुराण जैसी बिलकुल भी नहीं होगी। पहला चैप्टर लिखते ही कुछ हिस्से आपको दिखाएँगे।
किताबें पढ़ने के लिए मत पढ़िए। किताबें मेट्रो के पोल में लटक कर दूसरे को इम्प्रैस करने के लिए मत पढ़िए। किताबें टाइम पास के लिए मत पढिए। किताबें बस पढ़िए। पढ़ते रहिए, पढ़ते रहना चाहिए।